SIT क्या है ? SIT का फुल फॉर्म क्या है – ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनको अभी भी SIT के बारे में जानकारी नहीं है। अगर आप जी यह SIT के बारे में जानना चाहते हैं। की आखिरकार SIT क्या है और SIT का फुल फॉर्म क्या है। तो आज हम आपके लिए इस आर्टिकल के माध्यम से SIT के रिलेटेड सभी जानकारी संक्षेप में देने जा रहे हैं।
भारत में लोगों को न्याय दिलाने के लिए बहुत सारी संस्थाएं होती हैं। पर कभी-कभी लोगों को हर जगह से मैं नहीं मिल पाता है। क्योंकि भारत में ऐसे बहुत सारे केस देखे गए हैं जहां पर बड़े-बड़े लोगों के दबाव की वजह से बहुत सारे के बिना जांच के ही बंद कर दिए जाते हैं। इन्हीं सभी कारणों को देखते हुए भारत में SIT संस्था का गठन हुआ। आइए अब हम आपको SIT क्या है और SIT का प्रमुख काम क्या है इसके बारे में हम आपको विस्तार से जानकारी देते हैं।
SIT क्या है और यह कैसे काम करती है ?
दोस्तों सन 1984 में सिंखो का जब दंगा हुआ था तो इस मामले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने एक स्पेशल टीम का गठन किया जिसे आज हम लोग SIT के नाम से जानते हैं। लोगो का मानना है SIT की जांच के बाद इस मामले में ना केवल तस्वीर ही साफ हुई बल्कि पीड़ितों को न्याय भी मिला।
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SIT एक ऐसी स्पेशल टीम है जो गरीबों या फिर पीड़ितों को न्याय दिलाने में सबसे आगे रहती है। SIT का गठन ऐसे मामलों में राज्य और केंद्र सरकार भी कर सकती हैं। यह बिल्कुल एक कानून की तरह है जो सभी अपराधियों को उनके अपराध की सजा दिलाती है और बेगुनाह को इंसाफ ।
आपको हम जानकारी के लिए बता दें की यह स्पेशल टीम तब गठित की जाती है जब सरकार न्याय से संतुष्ट नहीं होती है।
सरकार सबसे पहले कोई भी केस सॉल्व करने के लिए पुलिस के हाथों में देती है। अगर पुलिस इसकी खोजबीन सही से नहीं कर पाती है तो वह केस SIT के हाथो में दे दिया जाता है, फिर वह एक एक सबूत को जड़ से खोद खोद के निकालती है, और बेगुनाह को इंसाफ़ दिलाती है।
SIT का फुल फॉर्म क्या है
दोस्तों आपने इसका मतलब तो बहुत ही website पर ढूंढा होगा लेकिन इसका पूरा नाम किसी ने कुछ लिखा है किसी ने कुछ, तो आइए मैं आपको इसका पूरा नाम बताता हूं। SIT का पूरा नाम स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (special investigation team ) होता है। जिसे सुप्रीम कोर्ट गठित करती है। SIT एक ऐसी टीम है जिस पर कोई बड़े से बड़ा आदमी भी अपना दबाव नहीं बना सकता।
इस टीम में एक जज और कुछ स्पेशल लोग रखे जाते हैं जो कभी भी किसी भी बड़े बड़े लोगों पर investigation कर सकते हैं जिन पर कोई भी पाबंदी नहीं लगा जा सकती। सन् 1984 से लेकर आज तक SIT ने बहुत से केस को हल किया है।
सन् 2006 जो गुजरात में दंगे हुए थे तब भी सुप्रीम कोर्ट ने इस टीम का गठन किया था। और हालही में मध्यग्राम में सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया था यह केस भी SIT के हाथो में दे दिया गया था । इस टीम के द्वारा ब्लैक मनी आईपीएल फिक्सिंग जैसे बहुत से केस solve किए गए है। इस टीम के द्वारा जो भी रिपोर्ट मिलती है उसको पहले न्यायालय के सामने रखा जायेगा और जो भी केस solve karte समय सबूत मिले है उनकी जांच होगी। यदि रिपोर्ट प्रक्रिया में खारिज कर दी जाती है तो उसकी सुनवाई अदालत में होती है अब स्वीकार करना या फिर रिजेक्ट करना अदालत के हाथ में होता है।
SIT का गठन किन किन मामलों में हो सकता है
इस टीम का गठन तभी किया जाता है जब अदालत में जज को यह लगता है कि जो भी इस केस के द्वारा सबूत और गवाह आए हैं वह झूठे हैं या फिर पर्याप्त नहीं है। तो सरकार उस केस की अच्छी तरह छानबीन करने के लिए SIT का गठन करती है।
इस टीम का गठन किसी भी केस के लिए किया जा सकता है जैसे कि मर्डर, आतंकवाद , रेप केस , ब्लैक मनी, दंगा फसाद इत्यादि।
निष्कर्ष
दोस्तों हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से SIT क्या है और SIT का प्रमुख काम क्या है के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से दी है। आशा करता हूं कि आप इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप हमारे द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट होंगे।